कृषि बजट में वृद्धि और जलवायु-रोधी फसलों पर जोर

कृषि बजट में वृद्धि और जलवायु-रोधी फसलों पर जोर

कृषि बजट में ₹11,000 करोड़ की वृद्धि की गई है, जिससे शोध के लिए अधिक धन आवंटित किया गया है। मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री ने कृषि को नौ प्राथमिकताओं में से एक के रूप में उजागर किया। सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की है, जिनमें कृषि उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन को सहन कर सकने वाली फसल किस्मों का विकास शामिल है। कृषि अनुसंधान के बजट में भी वृद्धि की गई है। वित्त मंत्री ने कृषि और संबंधित क्षेत्रों के लिए ₹1.51 लाख करोड़ आवंटित किए हैं, जबकि 2023-2024 के बजट में यह राशि ₹1.40 लाख करोड़ थी। बजट में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता, सब्जी उत्पादन केंद्रों का विकास और खेती के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट से कृषि क्षेत्र की विकास दर में तेजी आएगी। हालांकि, किसानों की आय बढ़ाने और एमएसपी खरीद सुनिश्चित करने के उपायों की कमी से निराशा है।

बजट में कृषि अनुसंधान, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, और राष्ट्रीय सहकारी नीति जैसे उपायों पर जोर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि अनुसंधान प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेगी और इन अनुसंधानों की निगरानी के लिए विशेषज्ञों की मदद लेगी। बजट में 109 नई उच्च उपज वाली फसल किस्मों और 32 जलवायु अनुकूल किस्मों को जारी करने की घोषणा की गई है। इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स के डॉ. शैलेंद्र कुमार ने कहा कि अनुसंधान निधि बढ़ाना और जलवायु सहनशील फसल किस्मों पर जोर देना आवश्यक है। सब्जी क्लस्टर विकसित करना और बायो इनपुट सेंटर बनाने की योजना से इस क्षेत्र को लंबे समय में लाभ होगा। हालांकि, इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाता है, यह देखना महत्वपूर्ण है।

पिछले बजट में सरकार ने सहकारी मोड में बड़े पैमाने पर गोदाम निर्माण की बात कही थी, लेकिन इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। कृषि क्षेत्र में कुशल श्रमिकों की भी आवश्यकता है, जिसे सरकार कैसे पूरा करती है, यह देखना होगा। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उत्पादन लागत कम करना, आधुनिक तकनीक का उपयोग करना और उचित कीमत सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। बजट में अगले दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए सहायता प्रदान करने की घोषणा की गई है, जिसमें प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग शामिल होगी। इस योजना को वैज्ञानिक संस्थानों और इच्छुक ग्राम पंचायतों की मदद से लागू किया जाएगा, और 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर सरकार का जोर देना अच्छी पहल है, लेकिन वर्तमान में सरकार के पास प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का कोई डेटा नहीं है और उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही है। सरकार किस प्रकार से इस योजना का लाभ आम किसानों तक पहुँचाती है, यह देखना होगा। सरकार ने धान के लिए एमएसपी बढ़ाकर ₹2,300 कर दिया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, एमएसपी खरीद सुनिश्चित करने के उपायों की कमी से निराशा है।

सरकार कुछ फसलों के लिए एमएसपी जारी करती है, लेकिन खरीद कुछ समय के लिए ही होती है, जिससे केवल सक्षम किसान ही अपनी फसल सरकार को बेच पाते हैं। छोटे किसानों को अपनी उपज आढ़तियों को एमएसपी से कम कीमत पर बेचनी पड़ती है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सहकारी नीति पेश करेगी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देना और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। कृषि नीति विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और 10,000 बायो रिसोर्स सेंटर बनाना स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है। बजट प्रावधान किसानों के लिए तत्काल राहत प्रदान नहीं करते। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नई फसलों का विकास एक लंबी प्रक्रिया है। तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना भी एक दीर्घकालिक लक्ष्य है, लेकिन भारत अभी भी पाम ऑयल के आयात पर निर्भर है। किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर कीमतों की मदद से तिलहन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। एमएसपी की गारंटी की कमी भी किसानों के लिए एक बड़ी चिंता है। सरकार खेती में डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है, लेकिन इससे किसानों से अधिक उद्योगपतियों या कॉर्पोरेट्स को लाभ होगा। बजट में दाल और दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें उत्पादन, भंडारण और विपणन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बजट में झींगा ब्रूड-स्टॉक्स न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों के नेटवर्क के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात कही गई है। नाबार्ड के माध्यम से झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी प्रमुख फसलों के लिए एक महीने पहले उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की गई है, जिससे लागत पर कम से कम 50% मार्जिन सुनिश्चित होता है। बजट में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाने की भी घोषणा की गई है, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा।

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